Shani Stotram – शनि स्तोत्रम्: प्रभाव, महत्व और चमत्कारी लाभ

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What is Shani Stotram: शनि स्तोत्रम् क्या है?

शनि स्तोत्रम् एक पवित्र संस्कृत मंत्र है जो शनि देव की स्तुति में रचा गया है। इस स्तोत्र की रचना राजा दशरथ ने की थी जब उन्हें शनि की महादशा और साढ़े साती का भय था। शनि देव की प्रसन्नता के लिए उन्होंने यह स्तोत्र गाया और शनि देव ने उन्हें दर्शन देकर संकट टाल दिया।

शनि स्तोत्रम् का नियमित पाठ करने से जीवन में आने वाली अनेक बाधाएं, रोग, शत्रु, और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। यह स्तोत्र शनि ग्रह की अशुभ दृष्टि को शांत करने का अचूक उपाय माना जाता है।

Importance of Shani Dev: शनि देव का महत्व

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शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है। वे प्रत्येक जीव को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। उनके प्रभाव से ही मनुष्य को अनुशासन, धैर्य, समर्पण, और संघर्ष की शिक्षा मिलती है।

शनि देव के प्रमुख गुण:

  • कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले देवता
  • अच्छे कर्मों पर इनाम, बुरे पर सज़ा
  • धैर्य, तप, और सेवा भाव को प्रोत्साहित करने वाले
  • सच्चे श्रद्धालुओं पर शीघ्र प्रसन्न होने वाले

भले ही शनि देव को भयावह माना जाता है, लेकिन वे न्यायप्रिय और करुणामयी हैं। यदि कोई व्यक्ति सच्चे ह्रदय से उनके शरण में आता है, तो वे सभी बाधाएं दूर करते हैं।

Benefits of Chanting Shani Stotram: शनि स्तोत्रम् का पाठ करने के लाभ

शनि स्तोत्रम् का पाठ करने से निम्नलिखित चमत्कारी लाभ मिलते हैं:

  • शनि साढ़े साती, ढैया या महादशा के दुष्प्रभाव समाप्त होते हैं।
  • रोग, कोर्ट केस, शत्रु बाधा और दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
  • मानसिक शांति प्राप्त होती है और डिप्रेशन, चिंता, असफलता से राहत मिलती है।
  • व्यवसाय और नौकरी में स्थिरता आती है।
  • कर्मों का सुधार होता है और आत्मा में आध्यात्मिक बल का संचार होता है।

👉 विशेष रूप से शनिवार को इसका पाठ अत्यधिक फलदायी होता है।

Best Time to Chant: शनि स्तोत्रम् पाठ का श्रेष्ठ समय

शनि स्तोत्रम् का पाठ करने के लिए निम्नलिखित समय उपयुक्त माने जाते हैं:

  • हर शनिवार को सूर्योदय के बाद या सूर्यास्त से पूर्व
  • शनि की दशा, साढ़े साती या ढैया के समय
  • जब जीवन में अकारण बाधाएं, हानि, या कष्ट आ रहे हों

पाठ विधि:

  • सुबह स्नान कर काले वस्त्र पहनें
  • शनि देव की मूर्ति या चित्र के सामने तिल का दीपक जलाएं
  • काले तिल, सरसों का तेल, और नीले फूल अर्पित करें
  • शांत मन से शनि स्तोत्रम् का पाठ करें

Shani Stotram Lyrics: शनि स्तोत्रम् के संपूर्ण श्लोक

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॥ श्री शनि स्तोत्रम् ॥

नमः कृष्णाय नीळाय शितिकण्ठनिभाय च।
नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः॥


नमः सौम्यरूपाय घोररूपाय वै नमः।
नमस्ते सर्वसत्वानां पतये यमनाय च॥


नमः सुरगुरवे त्वं च सौरये चैव नमो नमः।
नमो ब्रह्मपुत्राय च संन्यस्ताखिलाशयाय॥


द्वैधभूताय दीनाय शुष्कवृक्षनिवासिने।
नमः कल्पान्तदृशे चैव महाकाय नमोऽस्तु ते॥


महातपस तेजोराशे नित्यं योगरताय च।
नमः प्रेतप्रियायैव कृष्णदृष्टे नमोऽस्तु ते॥


नमो दण्डधरायाहं नीलवर्णाय धीमते।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय आत्मदृष्टे नमो नमः॥


एतत् शनि स्तोत्रं पुण्यं यः पठेत् भक्तिसंयुतः।
शनिपीडां न यात्येव जनमृत्युं न पश्यति॥

Shani and Karma: शनि और कर्म का संबंध

शनि देव कर्मों के फलदाता हैं। वे किसी को न तो नष्ट करते हैं और न ही अकारण दुःख देते हैं। उनका उद्देश्य है – आत्मा को अनुभवों द्वारा परिपक्व बनाना। उनके प्रभाव से व्यक्ति को अपने कर्मों की सच्चाई का बोध होता है।

  • जो कठिन परिश्रम करता है, शनि उसकी रक्षा करते हैं।
  • जो अन्याय और छल करता है, शनि उसे कष्ट देते हैं।
  • धैर्यवान, सत्यनिष्ठ, और विनम्र व्यक्ति शनि की कृपा पाते हैं।

शनि स्तोत्रम् के माध्यम से हम अपने कर्म सुधार सकते हैं और शनि देव की कृपा पा सकते हैं।

Remedies with Shani Stotram: शनि स्तोत्र के साथ अन्य उपाय

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शनि स्तोत्रम् के साथ कुछ उपाय और भी प्रभावी माने जाते हैं:

  • शनिवार को काले तिल, काला वस्त्र, और लोहे के बर्तन में तेल दान करें
  • गरीबों और विकलांगों को भोजन या वस्त्र दान करें
  • हनुमान जी का ध्यान करें क्योंकि शनि हनुमान से भयभीत रहते हैं
  • शनि शिंगणापुर, थिरुनल्लार जैसे प्रसिद्ध शनि मंदिरों में दर्शन करें

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FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर: हाँ, महिलाएं भी श्रद्धा और नियमपूर्वक शनि स्तोत्रम् का पाठ कर सकती हैं। यह स्तोत्र सभी के लिए लाभकारी है।

उत्तर: इसका सर्वश्रेष्ठ समय शनिवार को सूर्योदय या सूर्यास्त के समय होता है। इसे नित्य भी पढ़ा जा सकता है।

उत्तर: हाँ, यह स्तोत्र शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव जैसे साढ़े साती, ढैया और महादशा को कम करने में सहायक होता है।

उत्तर: पाठ के समय आप काले तिल, सरसों का तेल, काला कपड़ा, और नीले फूल अर्पित कर सकते हैं। साथ में तिल का दीपक जलाना शुभ होता है।

उत्तर: नहीं, आप इसे पुस्तक या स्क्रीन से पढ़कर भी श्रद्धापूर्वक पाठ कर सकते हैं। धीरे-धीरे स्मरण हो जाना लाभकारी रहेगा।

Conclusion: निष्कर्ष

शनि स्तोत्रम् एक दिव्य और शक्तिशाली स्तोत्र है जो जीवन के अंधकार को दूर करता है। शनि देव एक सचेतक देवता हैं जो हमें जीवन के गूढ़ रहस्यों और सत्य से परिचित कराते हैं। यदि हम सच्चे मन और श्रद्धा से उनका स्मरण करें तो वे सभी कष्ट हरने में समर्थ हैं।

👉 जीवन में यदि कोई अज्ञात बाधा, डर, तनाव या आर्थिक समस्या हो तो शनि स्तोत्रम् का नित्य पाठ अवश्य करें। यह न केवल शनि की शांति करेगा, बल्कि आपके जीवन में ध्यान, तप, और सफलता भी लाएगा।

Disclaimer: अस्वीकरण

यह लेख केवल धार्मिक और आध्यात्मिक जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। इसमें दी गई जानकारी किसी चिकित्सकीय, वैदिक या कानूनी सलाह का विकल्प नहीं है। किसी विशेष समस्या के लिए योग्य गुरु, आचार्य या ज्योतिषाचार्य से परामर्श अवश्य लें।

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