क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है कि आप मेहनत तो बहुत कर रहे हैं, लेकिन कुछ अदृश्य सी चीज़ें बार-बार आपके रास्ते में रुकावट बन रही हैं? शादी में समस्या, करियर में देरी, बिना कारण डर – कभी-कभी इन सबका जवाब तारों में छुपा होता है।
वैदिक ज्योतिष में ऐसा ही एक कारण माना जाता है – Rahu Ketu Dosham। अगर आप यह जानना चाहते हैं कि how to find Rahu Ketu dosham in horoscope, तो आप अकेले नहीं हैं। बहुत से लोग अपनी कुंडली में इस दोष को पहचानने की कोशिश करते हैं ताकि जीवन के संघर्षों को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं।
Rahu Ketu Dosham क्या होता है?
सबसे पहले, ये समझना ज़रूरी है कि Rahu और Ketu असल में ग्रह नहीं हैं – ये छाया ग्रह होते हैं, जो हमारे पिछले जन्मों के कर्मों का प्रतीक होते हैं। जहां Rahu भौतिक सुख, लालच और भ्रम का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं Ketu आत्मज्ञान, त्याग और आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है।
जब ये दोनों आपकी जन्म कुंडली में अशुभ स्थानों पर होते हैं या महत्वपूर्ण ग्रहों को प्रभावित करते हैं, तो Rahu Ketu Dosham बनता है, जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में रुकावटें पैदा कर सकता है।
How to Find Rahu Ketu Dosham in Horoscope?
अब बात करते हैं सबसे ज़रूरी सवाल की – how to find Rahu Ketu dosham in horoscope? इसके लिए आपको किसी ज्योतिषाचार्य बनने की ज़रूरत नहीं है। बस नीचे दिए गए संकेतों को ध्यान से देखें:
1. पहला और सातवां भाव देखें
अगर आपकी कुंडली में Rahu पहले भाव में और Ketu सातवें भाव में है (या उल्टा), तो यह व्यक्तित्व में भ्रम और वैवाहिक जीवन में अस्थिरता पैदा कर सकता है। यह संयोजन इस दोष का एक प्रमुख संकेत माना जाता है।
2. पाप ग्रहों के साथ युति
अगर Rahu या Ketu की युति शनि, मंगल या सूर्य जैसे पाप ग्रहों के साथ होती है, और ये आपकी चंद्रमा या लग्नेश को प्रभावित करते हैं, तो Rahu Ketu Dosham और भी शक्तिशाली हो सकता है।
3. चंद्रमा पर प्रभाव
अगर Rahu या Ketu चंद्रमा के साथ या उसकी दृष्टि में हों, तो यह मानसिक तनाव, भय और असमंजस की स्थिति पैदा कर सकता है।
4. Rahu का 5वें या 8वें भाव में होना
5वां भाव बच्चों, विद्या और रचनात्मकता का होता है जबकि 8वां भाव अचानक घटनाओं, राज़ और परिवर्तन का। इन स्थानों पर Rahu की उपस्थिति चिंता का विषय हो सकती है।
5. Navamsa कुंडली की पुष्टि
सिर्फ जन्म कुंडली नहीं, Navamsa (D9) chart भी जरूर देखें। अगर वहां भी वही योग दोहराया गया है, तो दोष की पुष्टि होती है।
अब आप समझ सकते हैं कि how to find Rahu Ketu dosham in horoscope को जानने के लिए किन बिंदुओं पर ध्यान देना ज़रूरी है।
एक वास्तविक उदाहरण
मान लीजिए आपकी कुंडली में Rahu सातवें भाव में है और मंगल पहले भाव में – इस स्थिति में बार-बार रिश्तों में समस्या, विवाह में देरी, या विश्वास की कमी जैसी समस्याएं आ सकती हैं। ऐसे मामलों में, एक अनुभवी ज्योतिषी how to find Rahu Ketu dosham in horoscope को देखकर समाधान सुझाता है।
अगर दोष हो तो क्या करें?

डरने की ज़रूरत नहीं है। कुंडली में दोष होना सामान्य है – कई सफल लोग भी जीवन में इन्हें लेकर आगे बढ़े हैं। उपाय और जागरूकता से स्थिति को संभाला जा सकता है।
कुछ सामान्य उपाय:
- Rahu और Ketu के मंदिरों में शांति पूजा कराएं (जैसे Thirunageswaram और Kezhaperumpallam)।
- रोज़ Rahu और Ketu के बीज मंत्रों का जाप करें।
- शनिवार को काले तिल, कंबल और लोहा दान करें।
- नवग्रह शांति पूजा या राहु-केतु शांति होम करवाएं।
जब आप जान जाते हैं कि how to find Rahu Ketu dosham in horoscope, तो आप उसके प्रभाव को भी संतुलित करना शुरू कर सकते हैं।
निष्कर्ष
How to find Rahu Ketu dosham in horoscope जानना सिर्फ ज्योतिषीय ज्ञान नहीं है, बल्कि आत्मबोध का एक तरीका है। इससे आपको अपने जीवन की चुनौतियों को समझने और उनसे निपटने में सहायता मिलती है।
डरने के बजाय जानिए, समझिए और आगे बढ़िए। ग्रह रास्ता दिखाते हैं – चलना आपको ही है।
❓ FAQ – How to Find Rahu Ketu Dosham in Horoscope
Q1. क्या हर किसी की कुंडली में Rahu Ketu Dosham होता है?
नहीं, यह विशेष ग्रह स्थितियों में ही होता है। हर किसी की कुंडली में यह दोष नहीं पाया जाता।
Q2. How to find Rahu Ketu dosham in horoscope सबसे आसानी से कैसे करें?
आप Lagna chart और Navamsa chart में Rahu और Ketu की स्थिति, युति और दृष्टि को देखकर यह दोष पहचान सकते हैं।
Q3. क्या Rahu Ketu Dosham को हटाया जा सकता है?
दोष को पूरी तरह हटाना संभव नहीं है, लेकिन पूजा-पाठ, दान और मंत्र जाप से इसके प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
Q4. क्या शादी में देरी का कारण Rahu Ketu Dosham हो सकता है?
हाँ, विशेष रूप से अगर यह पहले और सातवें भाव को प्रभावित कर रहा हो।
Q5. क्या यह दोष जीवनभर असर करता है?
यह व्यक्ति के दशा-अंतर्दशा और ग्रह गोचर पर निर्भर करता है। समय के साथ इसका असर घट सकता है।
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