Puri Jagannath Temple पुरी का जगन्नाथ मंदिर भारत के सबसे पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यह मंदिर ओडिशा राज्य के पुरी शहर में स्थित है और इसे चार धाम यात्रा का एक प्रमुख हिस्सा माना जाता है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण का रूप), उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को समर्पित है।
Historical Background: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

पुरी जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में पूर्वी गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा किया गया था। इसके बाद इसे 13वीं शताब्दी में राजा अनंग भीम देव ने विस्तार रूप में पुनः निर्मित कराया। ऐसा माना जाता है कि राजा को स्वप्न में भगवान जगन्नाथ के दर्शन हुए, जिसके बाद उन्होंने यह भव्य मंदिर बनवाया।
🔷 यह मंदिर लगभग 860 वर्ष पुराना है और भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में गिना जाता है।
Architecture of the Temple: मंदिर की वास्तुकला
पुरी जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला कालिंगा शैली में निर्मित है। मंदिर का मुख्य गुंबद 65 मीटर (214 फीट) ऊँचा है और इसकी बनावट अद्भुत है।
- मंदिर परिसर लगभग 400,000 वर्ग फीट में फैला हुआ है।
- इसमें लगभग 120 छोटे-बड़े मंदिर और स्मारक हैं।
- मंदिर के शिखर पर नीलचक्र स्थित है, जो अष्टधातु से बना हुआ है और इसका वजन लगभग 2200 किलो है।
📌 विशेष तथ्य: मंदिर का झंडा हमेशा हवा की दिशा के विपरीत लहराता है, जो आज तक विज्ञान के लिए रहस्य बना हुआ है।
Deities of the Temple: मंदिर के देवी-देवता
पुरी जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की पूजा की जाती है।
- भगवान जगन्नाथ की मूर्ति काले रंग की होती है, बड़ी गोल आँखों वाली होती है और उनके हाथ-पाँव नहीं दिखते।
- इन मूर्तियों को नीम की लकड़ी से बनाया जाता है और हर 12 से 19 वर्षों में इन्हें बदला जाता है, जिसे नवकलेवर कहा जाता है।
🪵 यह मंदिर भारत का एकमात्र मंदिर है जहाँ लकड़ी की मूर्तियाँ पूजा के लिए उपयोग में लाई जाती हैं।
Rath Yatra Festival: रथ यात्रा उत्सव

पुरी की रथ यात्रा पूरे भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
- यह उत्सव हर वर्ष जून या जुलाई में आयोजित होता है।
- इस दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को विशाल लकड़ी के रथों में बैठाकर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है।
- यह यात्रा 3 किलोमीटर लंबी होती है और इसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
🎉 यह भारत का सबसे बड़ा धार्मिक जुलूस माना जाता है, जिसमें लगभग 10 लाख श्रद्धालु शामिल होते हैं।
Daily Rituals: दैनिक पूजा विधियाँ
पुरी जगन्नाथ मंदिर में प्रतिदिन छह प्रमुख पूजा अनुष्ठान किए जाते हैं:
- दिन की शुरुआत मंगल आरती से होती है।
- रात को पाहुड़ा यानी भगवान का विश्राम कराया जाता है।
- मंदिर का भोग, जिसे महाप्रसाद कहा जाता है, 56 प्रकार के व्यंजनों (छप्पन भोग) का होता है।
🍛 महाप्रसाद को सभी जाति और धर्म के लोग एक साथ बैठकर खाते हैं, जो सामाजिक समरसता का प्रतीक है।
Spiritual Importance: आध्यात्मिक महत्व
पुरी जगन्नाथ मंदिर न केवल भक्ति का केंद्र है, बल्कि यह मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी माना जाता है।
- यह चार धाम में से एक है— अन्य तीन हैं: बद्रीनाथ, द्वारका और रामेश्वरम।
- यहाँ दर्शन मात्र से ही पापों से मुक्ति मिलती है, ऐसा विश्वास है।
- यह मंदिर समावेशिता और एकता का प्रतीक भी है।
🕉️ यहां भगवान का दर्शन करना आत्मिक शांति और मोक्ष प्रदान करता है।
Mysteries of the Temple: मंदिर के रहस्य
पुरी जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कई रहस्य आज भी लोगों को हैरान करते हैं:
- मंदिर के ऊपर का ध्वज हवा की दिशा के विपरीत लहराता है।
- मंदिर की छाया कभी जमीन पर नहीं पड़ती।
- मंदिर के अंदर समुद्र की लहरों की आवाज़ सुनाई नहीं देती।
- मंदिर के ऊपर स्थित सुदर्शन चक्र को पुरी के हर कोने से देखा जा सकता है।
🔍 ये रहस्य वैज्ञानिकों के लिए अब भी अनसुलझे हैं।
Visiting Information: यात्रा जानकारी
- स्थान: पुरी, ओडिशा, भारत
- बेस्ट टाइम: अक्टूबर से मार्च या रथ यात्रा के समय
- समय: सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक (दर्शन समय अलग-अलग)
🎫 प्रवेश शुल्क: मंदिर में सामान्य दर्शन के लिए कोई शुल्क नहीं है।
How to Reach: कैसे पहुंचे?

- हवाई मार्ग से: नजदीकी एयरपोर्ट भुवनेश्वर (60 किमी) है।
- रेल मार्ग से: पुरी रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा है।
- सड़क मार्ग से: भुवनेश्वर, कटक से बसें और टैक्सी नियमित रूप से चलती हैं।
🛣️ सड़क, रेल और हवाई मार्ग से यहां पहुँचना अत्यंत सुगम है।
FAQs – सामान्य प्रश्न
प्र.2: मंदिर की मूर्तियाँ लकड़ी की क्यों होती हैं?
उत्तर: यहाँ मूर्तियाँ नीम की पवित्र लकड़ी से बनती हैं और हर 12-19 वर्षों में बदली जाती हैं।
प्र.3: रथ यात्रा का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: यह यात्रा भगवान जगन्नाथ की मौसी के घर जाने का प्रतीक है।
प्र.4: क्या मंदिर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति है?
उत्तर: नहीं, मंदिर परिसर में फोटोग्राफी और मोबाइल फोन प्रतिबंधित हैं।
प्रश्न 5: पुरी मंदिर में भगवान को क्या भोग अर्पित किया जाता है?
उत्तर:
मंदिर में प्रतिदिन भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों (छप्पन भोग) का महाप्रसाद अर्पित किया जाता है, जिसे भक्तों में वितरित किया जाता है।
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निष्कर्ष: Conclusion
Puri Jagannath Temple पुरी जगन्नाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। यहाँ की परंपराएँ, रहस्य और भक्ति भाव श्रद्धालुओं को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं। यदि आपने अब तक इस मंदिर के दर्शन नहीं किए हैं, तो इसे अपनी जीवन यात्रा में अवश्य शामिल करें।
🌟 पुरी में भगवान जगन्नाथ के दर्शन करना एक आत्मिक जागृति का अनुभव है।
अस्वीकरण: Descliamer
Puri Jagannath Temple यह लेख केवल सूचना हेतु लिखा गया है। इसमें वर्णित धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य पौराणिक मान्यताओं और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित हैं। कृपया यात्रा से पहले अद्यतन जानकारी के लिए मंदिर प्रशासन या आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें।