Vastu Shastra Home Design: वास्तु शास्त्र होम डिज़ाइन

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vastu shastra home design
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परिचय

वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो रहने की जगह और भवन के डिजाइन से संबंधित है। “वास्तु” का अर्थ है निवास या घर, और “शास्त्र” का अर्थ है विज्ञान या ज्ञान का क्षेत्र। वास्तु शास्त्र का उद्देश्य एक संतुलित और सामंजस्यपूर्ण वातावरण तैयार करना है, जो निवासियों के स्वास्थ्य, समृद्धि और भलाई को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। वास्तु के सिद्धांत पांच प्राकृतिक तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – पर आधारित हैं और ये कैसे आपस में जुड़ते हैं। इन सिद्धांतों का पालन करके एक घर को सकारात्मकता, शांति और सफलता के लिए डिज़ाइन किया जा सकता है।. Vastu Shastra Home Design वास्तु शास्त्र होम डिज़ाइन ,

Vastu Shastra Home Design Principles: वास्तु शास्त्र होम डिज़ाइन सिद्धांत

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  1. Entrance Placement (मुख्य प्रवेश द्वार)घर का मुख्य प्रवेश द्वार वास्तु शास्त्र में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे उत्तर, पूर्व, या उत्तर-पूर्व दिशा में रखना सबसे अच्छा माना जाता है, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का आगमन हो सके। दक्षिण-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा में प्रवेश द्वार रखना नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकता है।
  2. Living Room (लिविंग रूम): लिविंग रूम को उत्तर या पूर्व दिशा में रखना चाहिए। ये दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए मानी जाती हैं, जिससे घर में ऊर्जा और उत्साह का माहौल रहता है। दक्षिण-पश्चिम दिशा में लिविंग रूम रखना अशांति का कारण बन सकता है।
  3. Bedroom (बेडरूम):मास्टर बेडरूम को घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में रखना चाहिए, क्योंकि यह स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देता है। बिस्तर को दक्षिण की ओर सिर करके रखना चाहिए, ताकि शांति से नींद आए और स्वास्थ्य अच्छा रहे।
  4. Kitchen (रसोईघर): रसोईघर वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, क्योंकि यह समृद्धि का प्रतीक होता है। इसे दक्षिण-पूर्व दिशा में रखा जाना चाहिए, जहां अग्नि तत्व सबसे प्रभावी होता है। रसोई का प्लेटफॉर्म पूर्व दिशा में होना चाहिए, ताकि अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा मिले।
  5. Bathrooms (बाथरूम) बाथरूम को उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम कोने में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे घर की ऊर्जा में असंतुलन हो सकता है। इसे पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए, ताकि संतुलन बना रहे।

Importance of Colors in Vastu Shastra: वास्तु शास्त्र में रंगों का महत्व:

वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के अनुसार, घर का वातावरण, उसकी ऊर्जा और जीवन की गुणवत्ता रंगों पर भी निर्भर करती है। रंग न केवल सौंदर्य को बढ़ाते हैं, बल्कि वे हमारे मन, शरीर और आत्मा पर भी प्रभाव डालते हैं। सही रंगों का चयन घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है। आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र में रंगों का महत्व और उनके उपयोग के सिद्धांतों के बारे में।

1. रंगों का मानसिक और शारीरिक प्रभाव

वास्तु शास्त्र में यह माना जाता है कि प्रत्येक रंग का एक विशिष्ट प्रभाव होता है। रंगों के मानसिक और शारीरिक प्रभावों के माध्यम से हम अपने घर में संतुलन और शांति ला सकते हैं। सही रंगों का चयन करने से घर में समृद्धि और खुशहाली आती है, जबकि गलत रंग नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

2. रंगों का तत्वों से संबंध (Connection of Colors with Elements)

वास्तु शास्त्र में रंगों का संबंध प्राकृतिक तत्वों जैसे पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से जोड़ा जाता है। इन तत्वों के अनुसार रंगों का प्रभाव भी विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ता है।

  • पृथ्वी (Earth) तत्व: पृथ्वी से संबंधित रंग जैसे भूरे, पीले और ऑरेंज रंग सकारात्मकता और स्थिरता लाते हैं। इन रंगों का उपयोग बेडरूम और लिविंग रूम में करना चाहिए।
  • जल (Water) तत्व: जल तत्व के रंग जैसे नीला, हरा और सफेद रंग घर में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि को बढ़ावा देते हैं। इन रंगों का उपयोग बाथरूम, रसोईघर और अध्ययन कक्ष में किया जा सकता है।
  • अग्नि (Fire) तत्व: अग्नि से संबंधित रंग जैसे लाल, गुलाबी और नारंगी रंग ऊर्जा, उत्साह और आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं। इनका उपयोग लिविंग रूम और दक्षिण-पूर्व दिशा में किया जा सकता है।
  • वायु (Air) तत्व: वायु तत्व के रंग जैसे सफेद, हल्का नीला और हल्का हरा रंग मानसिक शांति और स्वास्थ्य के लिए उत्तम माने जाते हैं। इन रंगों का उपयोग बेडरूम और कार्यक्षेत्र में किया जाता है।
  • आकाश (Space) तत्व: आकाश तत्व के रंग जैसे सफेद और हल्के रंगों का उपयोग कमरे में शांति और सकारात्मकता को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

3. प्रमुख रंगों का उपयोग और उनके लाभ

सफेद (White)

सफेद रंग शांति, स्वच्छता और सकारात्मकता का प्रतीक होता है। यह रंग घर के किसी भी कमरे में उपयुक्त माना जाता है, विशेष रूप से पूजा कक्ष और बाथरूम में। सफेद रंग मानसिक शांति, ताजगी और सामंजस्य लाता है।

वास्तु टिप: सफेद रंग का अत्यधिक उपयोग घर में ठंडापन पैदा कर सकता है, इसलिए इसे संतुलित मात्रा में उपयोग करें।

लाल (Red)

लाल रंग ऊर्जा, प्रेम, और समृद्धि का प्रतीक है। यह रंग उत्साह और आत्मविश्वास को बढ़ाता है, और खासतौर पर रसोई, लिविंग रूम और दक्षिण दिशा में उपयुक्त होता है।

वास्तु टिप: लाल रंग का अधिक उपयोग नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, इसलिए इसे संयमित तरीके से उपयोग करें।

पीला (Yellow)

पीला रंग खुशी, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक होता है। यह रंग घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। पीले रंग का उपयोग रसोई, पढ़ाई कक्ष और लिविंग रूम में किया जाता है।

वास्तु टिप: पीला रंग मानसिक उत्तेजना को बढ़ाता है, इसलिए इसका उपयोग संतुलित मात्रा में किया जाए।

हरा (Green)

हरा रंग स्वास्थ्य, समृद्धि और ताजगी का प्रतीक होता है। यह रंग शांति और मानसिक संतुलन को बढ़ावा देता है। हरा रंग बेडरूम, लिविंग रूम और बाथरूम में आदर्श होता है।

वास्तु टिप: हरा रंग शांति और स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है, इसलिए इसे अधिक स्थानों पर उपयोग करें।

नीला (Blue)

नीला रंग शांति, विश्राम और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। यह रंग विशेष रूप से बाथरूम, बेडरूम और पूजा कक्ष में उपयुक्त है।

वास्तु टिप: नीला रंग मानसिक शांति और समृद्धि लाता है, लेकिन अत्यधिक नीला उपयोग घर में ठंडापन पैदा कर सकता है।

नारंगी (Orange)

नारंगी रंग ऊर्जा, जीवंतता और आत्मविश्वास का प्रतीक होता है। यह रंग लिविंग रूम और रसोईघर में उपयुक्त होता है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

वास्तु टिप: नारंगी रंग का अधिक उपयोग मानसिक तनाव पैदा कर सकता है, इसलिए इसे संयमित तरीके से उपयोग करें।

काला (Black)

काला रंग शक्ति और स्थिरता का प्रतीक है, लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसे घर के छोटे हिस्सों में, जैसे कि अलमारी या छोटे फर्नीचर पर इस्तेमाल करना अच्छा होता है।

वास्तु टिप: काले रंग का उपयोग केवल छोटे और सीमित क्षेत्रों में करें, ताकि यह नकारात्मकता का कारण न बने।

Vastu Shastra and Furniture Placement: वास्तु शास्त्र और फर्नीचर का स्थान

वास्तु शास्त्र न केवल घर की संरचना और डिजाइन से संबंधित है, बल्कि इसमें फर्नीचर और उसके स्थान का भी बहुत महत्व है। सही तरीके से फर्नीचर का स्थान निर्धारित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और यह मानसिक शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख का कारण बनता है। आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र के अनुसार फर्नीचर को कहां और कैसे रखा जाना चाहिए।

1. मुख्य बैठक (Living Room)

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लिविंग रूम वह स्थान है जहाँ परिवार के सदस्य एक साथ समय बिताते हैं और मेहमानों का स्वागत करते हैं। वास्तु शास्त्र में यह कहा गया है कि लिविंग रूम में फर्नीचर का सही तरीके से स्थान निर्धारण घर की ऊर्जा को प्रभावित करता है।

  • सोफे और बैठने के स्थान: सोफे और अन्य बैठने के स्थानों को दीवार के खिलाफ रखें। इसका मतलब यह है कि बैठने की दिशा उत्तर, पूर्व, या उत्तर-पूर्व होनी चाहिए, ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो।
  • टीवी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण: टीवी या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी होती है।
  • फर्नीचर का संतुलन: फर्नीचर को कमरे के बीच में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह ऊर्जा के प्रवाह को बाधित कर सकता है। इसे दीवार के पास रखें और कमरे के मध्य को खुला रखें।

2. बेडरूम (Bedroom)

बेडरूम वह स्थान है जहां हम आराम करते हैं और विश्राम करते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, बेडरूम में फर्नीचर का सही स्थान सुनिश्चित करना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।

  • बेड का स्थान: बेड को हमेशा दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखें और सिर को दक्षिण दिशा की ओर रखें। यह दिशा स्थिरता और शांतिपूर्ण नींद के लिए आदर्श मानी जाती है।
  • वॉर्डरोब (Almirah): वॉर्डरोब को दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें। कभी भी इसे बेड के पास नहीं रखना चाहिए।
  • सीलिंग फैन और लाइट्स: फैन को बेड के ऊपर नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। लाइट्स को ऐसी दिशा में रखें, जिससे कमरे में प्रकाश की मात्रा संतुलित हो और यह शांतिपूर्ण हो।

3. रसोईघर (Kitchen)

रसोईघर घर का एक अहम हिस्सा होता है, जहाँ भोजन तैयार किया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई में फर्नीचर और उपकरणों की व्यवस्था सही दिशा में करनी चाहिए ताकि घर में समृद्धि और स्वास्थ्य का वास हो।

  • गैस स्टोव: गैस स्टोव को हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें, क्योंकि यह दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी होती है।
  • सिंक: सिंक को रसोई में उत्तर-पूर्व दिशा में रखना बेहतर माना जाता है, क्योंकि यह जल तत्व से जुड़ा होता है।
  • फ्रीज और वॉर्डरोब: फ्रीज को दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें। यह दिशा स्थिरता और संतुलन का प्रतीक है।

4. अध्ययन कक्ष (Study Room)

अध्ययन कक्ष का उद्देश्य शांति और ध्यान केंद्रित करने का होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, अध्ययन कक्ष में फर्नीचर का स्थान मानसिक शांति और सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।

  • डेस्क और कुर्सी: डेस्क को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें, ताकि विद्यार्थी का चेहरा इस दिशा की ओर हो और यह उनके लिए सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बने।
  • किताबों की अलमारी: किताबों की अलमारी को पश्चिम दिशा में रखें। यह दिशा ज्ञान और बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देती है।
  • अलमारी और फाइल कैबिनेट: अध्ययन कक्ष में अधिक फर्नीचर न रखें। कम से कम और व्यवस्थित फर्नीचर घर की ऊर्जा को संतुलित बनाए रखता है।

5. बाथरूम और शौचालय (Bathroom and Toilets)

बाथरूम और शौचालय के स्थान का चयन भी वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण होता है। ये स्थान घर की नकारात्मक ऊर्जा से संबंधित होते हैं, इसलिए फर्नीचर और अन्य वस्तुओं की व्यवस्था ध्यान से करनी चाहिए।

  • बाथटब और शॉवर: बाथरूम में बाथटब या शॉवर को उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें। यह दिशा जल तत्व से जुड़ी होती है, जो शांति और विश्राम को बढ़ावा देती है।
  • सिंक और शौचालय: शौचालय को हमेशा दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखें। इस दिशा में शौचालय रखने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है।

6. कार्यालय (Office or Workspace)

यदि घर में एक छोटा कार्यालय या कार्यक्षेत्र है, तो यह भी वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार व्यवस्थित किया जाना चाहिए। सही फर्नीचर की व्यवस्था से कार्यस्थल पर ध्यान और उत्पादकता बढ़ती है।

  • डेस्क और चेयर: डेस्क को उत्तर या पूर्व दिशा में रखें, ताकि कार्य करते समय व्यक्ति का चेहरा इन दिशाओं की ओर हो। यह कार्य में सफलता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • कंप्यूटर और उपकरण: कंप्यूटर को डेस्क पर सही स्थान पर रखें। इसका सामना न तो दीवार से और न ही दरवाजे से होना चाहिए। कंप्यूटर की स्क्रीन का सामना उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए।

7. फर्नीचर का संतुलन (Balance of Furniture)

वास्तु शास्त्र के अनुसार, फर्नीचर का संतुलित उपयोग घर के भीतर सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने में सहायक होता है। बहुत अधिक फर्नीचर कमरे के ऊर्जा प्रवाह को बाधित कर सकता है, जबकि बहुत कम फर्नीचर भी वातावरण को असंतुलित बना सकता है।

कमरे का आकार और फर्नीचर: कमरे के आकार के अनुसार ही फर्नीचर का चयन करें। छोटे कमरे में भारी फर्नीचर रखने से ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो सकता है, जबकि बड़े कमरे में हल्के और छोटे फर्नीचर से संतुलन बनाए रखें।

Conclusion: निष्कर्ष:

वास्तु शास्त्र होम डिज़ाइन ऊर्जा के साथ हमारे घरों को संरेखित करके एक सामंजस्यपूर्ण जीवन वातावरण बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है। अपने घर के डिज़ाइन में वास्तु सिद्धांतों का पालन करने से स्वास्थ्य, समृद्धि और शांति में सुधार हो सकता है। चाहे आप नया घर बना रहे हों या मौजूदा स्थान में बदलाव कर रहे हों, वास्तु तत्वों को शामिल करने से आपके जीवन में संतुलन और सकारात्मकता आ सकती है।

Desclaimer: अस्वीकरण

इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य मार्गदर्शन के लिए है। यह वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों पर आधारित है, लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के अनुभव और स्थिति अलग हो सकते हैं। किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय से पहले योग्य विशेषज्ञ से परामर्श करें। लेखक इसकी पूरी सटीकता की गारंटी नहीं देता है।

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